Monika garg

Add To collaction

लेखनी कहानी -13-May-2022#नान स्टाप चैलेंज # छोटी सी आशा

वो रात में ताउम्र नहीं भूल पाया |वह जनवरी की बड़ी कड़ाके की ठंड थी उस दिन मेरा परीक्षा परिणाम आया था ,हर बार कि जैसे मैं पास पहुंचते-पहुंचते फेल हो गया| मैं डॉक्टर बनना चाहता था, मैं एकमात्र बेटा हूं अपने छोटे से गांव का जो इतने बड़े सपने को साकार करने बाहर आया था|


मुझे इस ख्याल से और घुटन हो रही थी |मैं तेजी से अपने कमरे का दरवाजा बंद करके ताला लगाने लगा, मुझे खयाल आया बाहर ठंड है इसलिए वापस से शॉल(ऊनी कंंबल)लाया और लपेटकर अंधेरी ठंड रात में चल दिया |


सुनसान रास्ता, कुछ आवारा कुत्तों के अलावा मैं था बस और था मेरा आज का दर्द | पहले तो मैंने दोस्त दिलीप के पास जाने का सोचा फिर मैंने मेरी अकेलेपन वाली जगह जाने का सोचा।


वह ज्यादा दूर नहीं थी , पास में ही कुछ खाली और सुनसान प्लॉट थे । वह रोड के किनारे था वहां बैठने में रोड पर भागती हुई जिंदगी दिखती वहीं दूसरी ओर इसका प्रतिबिंम्ब सुनसान जगह।


मैं तेजी से कदम बढ़ाते बढ़ाते मन ही मन में सोचने लगा- "शायद मुझमें क्षमता ही नहीं है |सब कुछ तो करता हूं, मेहनत करता हूं ,अच्छा सोचता हूं ,सकारात्मक ही सोचता हूं| कभी किसी का बुरा नहीं चाहता और मुझे इतने सालों से सफलता से क्यों दूर रखा गया है !


सोचते-सोचते मेरी आंखों से आंसू आ गए |मैं सॉल में मुंह देकर सुबकने लगता, चुप हो जाता ,फिर से सिसकियां फिर आंसू को पोंछते हुई एक नजर देखता।


कोई मुझे चलते हुई देख तो नहीं रहा। मैं रोड से कुछ दूर एक पेड़ के नीचे अंधेरे में बैठा था ।


मेरे पीछे वाले स्थान पर मैंने टेंट लगा दिखा ,शायद कोई उस स्थान पर नया आया होगा । कई बार मजदूर वर्ग के कई लोग मालिक से अनुमति लेकर यहां खाली पड़े प्लॉट पर ठहराव कर लिया करते थे।


वही एक मां और एक छोटा बच्चा थे क्योंकि उनकी प्रतिभूति टेंट के अंदर से आ रही प्रकाश दिखाई दे रही थी | उनकी बातें फुस फुसाहट के रूप में सुनाई दे रही थी , तो मैं उनके पास वाली दीवार के नीचे जमीन पर जाके बैैैठ गया


मैं अपना ध्यान हटाना चाह रहा था और यह रोचक लग रहा था |


एक बालक अपनी मां से पूछ रहा था -"


"आप कहती हो ना !मैं बड़ा होकर बहुत अच्छा और बड़ा आदमी मानूंगा "- काम करती हुई मां को परेशान करते हुई और तुतलाकर बच्चे ने पूछा.


मां ने बस हम्म कह कर टाल दिया ।


"पर मेरे पास तो पैसे ही नहीं है,ना ही आपके पास "


मां ने चुप्पी तोड़ी -"हमारे पास बहुत पैसे हैं बहुत सारे "


"कहां है मां"


"वह बेटा मैंने छुपा कर रखे हैं ना | यह टोपा पहन लो सर्दी लग जाएगी "


"नहीं लगेगी "- परेशानी वाली आवाज में कहा |


"अच्छे बच्चे अपनी मां की बात सुनते हैं ना ।। ठीक है!"


"मां आप मुझे कहानी सुनाओगी ना "


बच्चे ने प्यार से मनोहर करते हुए कहा|


"ठीक है पहले जाकर पानी पीकर आओ, पेशाब करके और हाथ धो कर आना है|"


बच्चे को तो मानो मिठाई का लालच मिल गया वह बाहर भागा और झट से वापस आया ।

मां जिस काम में व्यस्त थी ,उसे जल्दी से खत्म कर उसे कहानी सुनाने लगी||


"बहुत समय पहले जब धरती पर चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा था ,तब भगवान ने एक मानव को यहां भेजा "


"मां भगवान ने उसे बनाया था?"


" हां ,बेटा भगवान ने ही बनाया था । उससे कहा कि मैं कुछ समय बाद वापस आऊंगा अगर तुम यही मिले तो तुम्हें यही छोड़ जाऊंगा अगर तुम यहां खुद को बचा नहीं पाए तो तुम्हें वापस नष्ट कर दूंगा।।


कुछ समय बाद मानव को भूख लगी पर वह कुछ भी खा नहीं सकता था जब तक कि कुछ खुद नहीं पकाता या बनाता । क्योंकि भगवान ने शर्त रखी थी कि तुम अपने द्वारा उगाया हुआ खाओगे तब ही तुमको इस पृथ्वी पे रहने दिया जाएगा अन्यथा विनाश कर दिया जाएगा।


मानव तेज था,उसने अपने निरीक्षण से पेड़ पौधों की जीवनी के बारे में जाना और उसने जाना बीज से फसल होती है ।बीज को उगने में बहुत समय लगा| अब उसके बड़े होने और पकने पर कोई ना कोई रुकावट आती रहती, मानव ने हार मान कर खुद को खत्म करने की सूची ।


वह चलने लगा उसके मार्ग में नदी आई मानव ने कौतुहल बस पूछा -" तू क्यों बहती है "


"यही तो मुझे जीवन देता है | मैं बिना प्रवाह के खत्म हूं तभी भगवान ने मुझे यहां रखा है।


वह आगे चलने लगा उसे बड़ा पर्वत मिला | उसने पूछा -"हे गिरिराज आप क्यों अड़िग खड़े हो ".


"मेरी इसी रूप से कई जीवन चलते हैं| मैं कई नदियों का उद्गम करता हूं तभी तो मैं यहां आगे खड़ा हूं |


वह आगे चला, उसे आग मिली,उसने पूछा-" आप इतने गुस्से में क्यों हो" सुनते ही बच्चा हंस पड़ा, मां भी मुस्कुरा दी ,मैं भी मंद सा मुस्कुरा दिया।


"मेरा कोई और छोर नही है । में जलती हूं ताकि हो उजाला हो सके, अंधेरा दूर हो सके" ।


मानव को भगवान का रचनात्मक कार्य समझ आ रहा था। उसने हवा से पूछा ।


हवा ने कहा - मेरा जीवन संभव नहीं है,मैं ओज हू, जीवन का एक तत्व।


मानव ने उपाय बदला और सोचा जब इन सभी का कुछ न कुछ काम निश्चित है तो जाहिर सी बात है मेरा भी होगा ।


उसने गहन ध्यान से महसूस किया कि यह सब वार्तालाप नहीं बल्कि भगवान की उसी बचाने में, समझाने में एक मदद है। एक मार्गदर्शन है ,आखिर में वही एक रचीयता है ।


फिर मानव ने पहाड़ में गुफा में रहना शुरू किया ,आग से अंधेरा दूर किया ,नदी के पानी से प्यास बुझाई


और इन्हीं की मदद से फसल करने लगा और सुख शान्ति से रहने लगा ।


"क्या भगवान फिर वापस नहीं आए "


"बेटा वो कहीं गए ही नहीं थे । वह तो मानव के साथ थे ना, हमेशा उसी के रूप में ।।


"इससे क्या सीख मिलती है बताओ?"


" मां आप बताओ ' बच्चे ने मासूमियत से मां की ओर देख कर कहा ।


"कभी भी भगवान से भरोसा मत उठाओ| वह हमेशा हमारे साथ है ,उसके होने को महसूस करो ।


भले ही वह बहुत कुछ अच्छा नहीं करें पर वह बहुत बुरा भी नहीं होने देगा। उसकी बुरी में भी कुछ अच्छाई छुपी हुई है जो तुम्हें ढूंढनी है ।"


बच्चे ने टोका -" ह्म्म आप सही कहते हो, तभी तो हम टेंट में सुरक्षा में सो रहे हैं । वहां कोने पर एक अंकल सर्दी में इन सबके बिना भी सो रहे थे ।"-खुद की बात पर ही चकित होकर उसने मां से पूछा -"मां क्या भगवान अंकल के साथ नहीं है?"


मां चुप हो गई और सोचकर कहा- "भगवान कई बार परीक्षा लेते हैं ,देर से हमारे पास आते हैं ।कई बार हमें ही आगे से पहल करनी होती है।


"चलो अब सो जाओ मम्मा को भी सोना है "- उभाई लेते हुए कहा।


यह सब वार्तालाप सुनकर मेरी पूरी निराशा गुम हो गई। इस सुनसान जगह आकर आशा मिलेगी सोचा नहीं था । मैंने भगवान पर भरोसा नहीं किया था कभी पर, उस दिन वह संयोगवश वार्तालाप मेरे लिए उनका आशीर्वाद था | मैंने उस पल सोचा जब एक वक्त की रोटी व्यवस्था करने वाले में हिम्मत और आशा हो सकती है तो मुझ में क्यों नहीं |मुझे इन्हें देखकर भगवान को शुक्रिया कहना चाहिए | मैं रूम पर जाते जाते सोच रहा था ।


मोड पर बच्चे द्वारा बताया गया भिखारी सो रहा था मेरे पास कमरे पर भी गर्म कपड़े थे ।उस बच्चे की मां ने सही कहा था भगवान देर से ही सही भले पर भगवान आते जरूर है मदद के लिए । अपनी शाल उतारकर भिखारी को ओढ़ाते हुए खुशी महसूस करते हुए मैं बस यही सोच रहा था ।


   22
8 Comments

Palak chopra

18-Oct-2022 11:31 PM

Achha likha hai 💐

Reply

Gunjan Kamal

18-Oct-2022 10:08 PM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

Reply

Supriya Pathak

18-Oct-2022 09:11 PM

Achha likha hai 💐

Reply